Saturday, February 17, 2018

सोचिये आज आपने क्या खो दिया ?


जनवरी की एक सर्द सुबह थी । अमेरिका के वाशिंगटन डीसी का मेट्रो स्टेशन । एक आदमी करीब वहाँ घंटे भर तक वायलिन बजाता रहा । इस दौरान लगभग वहाँ 2000 लोग गुजरे, उनमें से अधिकतर अपने काम पर जा रहे थे। उस व्यक्ति ने वायलिन बजाना शुरू किया उसके 3 मिनट बाद, एक अधेड़ आदमी का ध्यान उसकी तरफ गया । उसकी चाल धीमी हुई, वह कुछ पल उसके पास रुका ओर फिर जल्दी में निकल गया ।

4 मिनट बाद : वायलिन वादक को पहला सिक्का मिला। एक महिला ने उसकी टोपी में सिक्का फेंका ओर वो बिना रुके चलती बनी ।

6 मिनट बाद : एक युवक दीवार के सहारे टिककर उसे सुनता रहा, फिर उसने घड़ी पर नजर डाली और फिर से चलने लगा ।

10 मिनट : एक तीन वर्षीय बालक वहां रुक गया, पर जल्दी में दिख रही माँ उसे खीचते हुए वहां से ले गयी । ऐसा कई बच्चों ने किया और हर एक के अभिभावक ने लगभग ऐसा ही किया ।

45 मिनट : वह लगातार बजा रहा था अब केवल 6 लोग ही रुके थे और उन्होंने भी कुछ देर ही उसे सुना था। लगभग 20 लोगों ने सिक्का डाला और बिना रुके अपनी सामान्य चाल में चलते रहे । उस आदमी को कुल 32 डॉलर मिले ।

1 घंटा : उसने अपना वादन बन्द किया फिर शांति का गयी। इस बदलाव पर किसी ने ध्यान नही दिया । किसी ने वादक की तारीफ नहीं की ।

किसी भी व्यक्ति ने उसे नहीं पहचाना। वह था, संसार के महान वायलिन वादकों में से एक, जोशुआ बेल जोशुआ 16 करोड़ रुपये की अपनी वायलिन से इतिहास की सबसे कठिन धुनों मे से एक को बजा रहे थे । महज 2 दिन पहले ही उन्होंने बोस्टन शहर में मंचीय प्रस्तुति दी थी जहाँ पर टिकट का औसत मूल्य लगभग 100 डॉलर ( 6000 INR ) था ।

यह बिल्कुल सच्ची घटना हैं। ओर इसका सीधा सा निष्कर्ष ये निकलता है कि जब दुनिया का इतना बड़ा वादक इतिहास की बेहतरीन धुनों में से 1 को बज रहा था तब किसी ने उस पर ध्यान नही दिया । इसी प्रकार हम जीवन मे कितनी चीजो से वंचित रह जाते होंगे। क्या हम ध्यान देते है या फिर केवल दौड़ते जा रहे है । हम इस प्रकार कितनी ओर चीजो से वंचित रह गए है। और लगातार वंचित हो रहे है ।

इसका जिम्मेदार कौन है ?

No comments:

Post a Comment

बस बढ़िया यार

ओर बता यार कैसा है तू? ठीक 4 साल बाद जब उन सभी से मिला तो पहला सवाल यही था उनका कि ओर बता यार कैसा है तू? हुआ कुछ यूं था कि हम...