Saturday, February 17, 2018

पिता पुत्र और खच्चर



एक बार एक पिता पुत्र और खच्चर एक रास्ते से कही जा रहे थे। उन्हें रास्ते में कुछ लोग मिले जो कहने लगे कि कैसे पागल पिता है , खुद तो थक रहा है बेटे को भी थका रहा है । यह सुनकर पिता पुत्र को खच्चर पर बिठा देता है, थोड़ी देर चलने के पश्चात उन्हें फिर से कुछ लोग मिलते है इस बार लोग बोलते है कि कैसा बेटा है, खुद तो खच्चर पर बैठा है और अपने पिता को पैदल चला रहा है । ये सुनकर बेटा खुद उतर जाता है और पिता को खच्चर पर बैठने को कह देता है । अब पिता खच्चर पर बैठ जाते है और कुछ दूर चलने के उपरांत उन्हें फिर से कुछ लोग मिलते है और कहते है । खच्चर होने के उपरांत भी एक पैदल चल रहा है और एक इस पर बैठा है । इसके बाद दोनों खच्चर पर बैठ कर चल देते है। कुछ देर बाद फिर कुछ लोग मिलते है और बोलते है कैसे दुष्ट पिता और बेटा है । इतने कमजोर खच्चर पर दोनों बैठ कर जा रहे है , कही ये मार गया तो ?
ये सुनकर पिता और पुत्र वापस उतरकर पैदल चलने लगते है । 

इस कहानी से हमे क्या शिक्षा मिलती है?

हमे शिक्षा मिलती है कि हम चाहे कुछ भी करले, कुछ लोग होंगे जो कोई कोई नुक्स निकाल देंगे और कुछ कुछ जरूर बोलेंगे । इसलिए कभी नही सोचना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे ओर अपना काम करते रहना चाहिए ।

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