Monday, October 30, 2017

वो लड़का


वो लड़का, जो सवालों की दुनिया मे ही खोया रहता है और ढूंढता है उस एक-एक सवाल को, उसकी किताबों के उन पन्नो में जो उसने कई बार पलटे है, वो चंद सवाल जो उसके एग्जाम में आएंगे और उसे रैंक दिलाएंगे। वो लड़का शायद अब गुम चुका है

वो लड़का जो अपना पूरा वक़्त लाइब्रेरी या क्लास में बीता देता है लेकिन वो सोचता है एक दिन में भी सूरज देखूंगा, एक दिन में भी सूरज देखूंगा।

वो लड़का जो अब सिर्फ उसके रूम से उसकी मेस के रास्ते पर ही आया जाया करता हैं, भूल चुका है उन सभो रास्तो को जहाँ वो कभी उसके दोस्तों के साथ आया जाया करता था।

वो लड़का कभी कभी उसकी मेस के रास्ते पर कुछ लडको को मस्ती करते हुए या घूमते हुए देखता है तो याद करता है वो सारे पल जो उसने उसके दोस्तों के साथ कॉलेज में बिताये थे लेकिन आज वो सभी पल उसके गूगल ड्राइव के किसी फोल्डर में महज एक मेमोरी बन कर रह गये है।

वो लड़का जिसे बार बार सिर्फ यही ख्याल आता है कि जब वो घर से बाहर निकला था तो उसके पिताजी की भी आंखे नम थी जिनको अक्सर उसने गुस्से में ही देखा था। वहीँ दूसरी ओर उसकी माँ की आंखे भी उसे याद है जो नम होने के साथ साथ इस उम्मीद में भी थी कि मेरा बेटा जल्दी से नौकरी करके पैसे कमायेगा ओर ठीक करवाएगा घर का वो फर्श, जिसका सीमेंट टूटे हुए कई साल हो गए है, जिसके बारे में वो हमेशा शिकायत करता रहता है। शायद वो लड़का भी उस सीमेंट की तरह टूट चुका है। 

वो लड़का जो आये दिन उसके दोस्तों , रिश्तेदारों के  WhatsApp Status देखता है और झल्ला उठता है और अपने मोबाइल का लॉक खोलकर गेलेरी ओपन करता है, ये सोचकर की उसका कोई फोटो वो भी upload करेगा लेकिन उसे कोई फोटो नहीं मिलता है, हां मिलती है कुछ सेल्फी जो उसने कुछ समय पहले ली थी पर वो रुक जाता है ये सोचकर की वो इतना अकेला हो गया है कि उसकी जिन्दगी में कोई उसका फोटो लेने वाला भी नहीं रहा।

वो लड़का जिसे उसके देश की सरकार से नफरत है लेकिन वो उसके देश की सरकार के लिए ही काम करना चाहता है ये सोचकर की शायद वो कुछ बदलाव ला पाए लेकिन उसे पता है एक दिन वो भी उसी सिस्टम का हिस्सा हो जायेगा जिसे वो बदलना चाहता है ।

वो लड़का जिसने ठीक 1 साल पहले भी यही एग्जाम दिया था उसी के एक दोस्त के साथ। उसका चयन नहीं हो पाया लेकिन उससे थोड़े कम मार्क्स लाने पर भी उसके दोस्त को नौकरी मिल गयी । उसे याद आता है की बचपन में उसके शिक्षक ने उसे सिखाया था की सबको समानता है और सभी को समानता का अधिकार है लेकिन जेसे ही उसे ये याद आता है वो गुस्से से भर जाता है और सोचता है कहाँ है वो समानता और कहाँ है वो समानता का अधिकार ? वो ये सब बदलना चाहता है लेकिन केसे ? किसके पास जाए वो ? किस व्यक्ति से आस  करे ? किसको बताये की उसके साथ गलत हुआ है ? उसके माँ- बाप, जो बेचारे उसी से सारी आस लगाये बेठे है या उसके शिक्षक जिन्होंने उसे समानता का अधिकार बताया था । सरकार के पास जाए , वो सरकार जिसने खुदने उसके देश को जाती-पाती , भेदभाव , ऊँच-नीच, हिन्दू-मुस्लिम, अमीर-गरीब के आधार पर बाँट रखा है।आखिर किसके पास जाए वो ? किसे बताये की ये सब सही नहीं है।     

ये सब सोचता हुए वो लड़का फिर चल पड़ता है पैदल-पैदल उसके रूम की तरफ जहाँ उसकी कुर्सी-टेबल उसका इंतज़ार कर रही है 

वो लड़का शायद में.... या शायद में नहीं ।
लेकिन हां शायद वो आप है या  शायद आप या  शायद आप.....  

Wednesday, October 25, 2017

दौड़


दौड़ ये कैसी है,
ले आती है बार बार एक अनजाने मुकाम पे,
कल भी थी, आज भी है और शायद कल भी रहेगी ये दौड़ जो है, यहीं है।

दौड़ ये तेरी भी है और दौड़ ये मेरी भी है।
तेरी जो दौड़ मुझसे, मुझे हराने की है मेरी वही दौड़ तुझसे जीतने की है, पर क्या फर्क पड़ता है। है तो दौड़ ही चाहे किसी की भी हो।

कल भी तो थी ये दौड़ हां पर कल ये दौड़ मार्क्स की थी, आज ये नौकरी की है और कल ये छोकरी की होगी ओर परसों किसी ओर चीज की।

लेकिन इस दौड़ में दौड़ते दौड़ते कही ना कही हम उसे भूल गए जिसके लिए ये दौड़ हमने दौड़ना शुरू की थी।कोन था वो, क्या नाम था उसका, था एक बहुत छोटा सा, नाम था उसका "बचपन"। बड़ा मस्त था यार बचपन । ना तो किसी से जीतना जानता था और ना किसी से हारना, जानता था तो सिर्फ खेलना ओर वो भी बिना थके बिना रुके। पर अब वो मेरे घर की गली के किसी कोने में दुबका हुआ सा, सहमा हुआ सा कहीं गुम सा गया है।

जब मैं उससे दूर आया था तो कहकर आया था कि वापस आ जाऊँगा जल्दी बस थोड़े दिन की ही तो बात है। आज 10 साल हो गए लगता है जैसे कल की ही बात है लेकिन अब मैं बहुत दूर आ गया उससे, अब उसके पास जाने में डर लगता है। डर लगता है कही खो न दु उन सब चीजों को जो मेने इन 10 सालो में पाई है। कही खो न दूँ उन सबको जो मेरी तरह ही इसी डर से डरे हुए है।

"बचपन" मुझसे जब भी मिलता है सिर्फ यही कहता है की आ जाओ वापस बहुत हो गया, थोड़ा रूक जाओ, थोड़ा आराम कर लो, थोड़ा टहर जाओ। लेकिन मे उससे हमेशा से यही कहते आया हूं की बस ये चीज ओर कर लूँ फिर आऊंगा उसके बाद सिर्फ तेरे पास रहूंगा। बस थोड़ी बड़ी ओहदे वाली नॉकरी मिल जाये, एक सुंदर सी लड़की से शादी हो जाए और फेसबुक पर एक अच्छा सा स्टेटस डाल दु ताकि मेरे लाइक्स ओर मेरे फॉलोवर्स बढ़ जाये बस फिर आता हूं तेरे पास।  थोड़े पैसे और कमा लू, थोड़ा और जोड़ लू , एक गाड़ी ओर खरीद लू बस फिर आता हूं।

आज सुबह फिर मिला था , पूछ रहा था कब आओगे वापस? में कह आया, आ रहा हूं बस थोड़े दिन और,
यही कह आया हु उस बचपन से अभी अभी। आज भी वो हमेशा की तरह चुप गया वापस उसी गली की उसी कोने में कही दुबक कर, सहम कर।
" मेरा बचपन "

अब में चलता हूं। मुझे अभी दौड़ना है अभी थोडा बचा हुआ है । 

Sunday, October 1, 2017

8*8 का एक कमरा

मेरे घर मे एक कमरा है जो अक्सर बन्द रहता है। यही होगा कोई 8*8 का बस।

आज इतने समय बाद जब घर आया तो देखा यहाँ दिवाली की सफाई चल रही है और मम्मी ने मेरे आते ही मुझे भी काम थमा दिया। अब हर साल की तरह इस साल भी मुझे पंखे पोछने और तस्वीरों को कपड़े से साफ करने का काम मिला था लेकिन में ये  करके बोर हो चुका था तो मुझे कुछ नया करना था तो मैने उस कमरे की सफाई का काम अपने जिम्मे ले लिया। में आप सभी को बता दूँ की ये कमरा हमारे घर मे सिर्फ उन चीजों के लिए है जो अब पुरानी हो गयी है और आगे कुछ काम नही आएंगी। कुछ लोग इन सब चीजों को फेंक देते है लेकिन मेरे माँ पिताजी शायद पुरानी चीज़ो का मूल्य जानते है शायद इसलिए ये उन्हें नही फेंकते। ऐसा भी नहीं कि सब चीजें ही हम संभाल कर रख लेते है बल्कि ऐसा है कि कुछ चीजें जो माँ पिताजी को लगता है कि ये जुड़ी हुई है किसी न किसी से घर में, वो सब, हम यह रख लेते है। परन्तु मुझे इस कमरे में आये एक अरसा सा बीत गया है और यहाँ तक कि मुझे तो पता भी नही चलता कभी कभी की ये कमरा भी हमारे घर मे हैं। आप सभी के साथ भी होता होगा जैसे कोई चीज हमारे काम की नही तो हम भूल जाते है वो है और फिर एक अरसे बाद कभी भूले भटके कभी उस चीज़ से रूबरू होने का मौका मिलता है तब अतीत के पन्नो से पुरानी यादें निकल कर आ जाती है मन के मानस पटल पर और बिखेर देती है उन सभी लम्हों को आंखों के सामने जैसे कल की ही बात हो।
जैसे ही मेने इस कमरे का दरवाजा खोला तो मेरे मन के मानस पटल पर वो सारी तस्वीरे उभर आई जो कभी बचपन मे कुछ पलो में बनी थी।

एक तरफ वो रोबोट रखा हुआ था मेले में से मुझे 2 साल तक जिद करने के बाद 12 साल की उम्र में बाद मिला था। आज इसके एक हाथ और एक पैर नही है और सिर का भी एक हिस्सा गायब है लेकिन आज इसे हाथ मे लिया तो ऐसा लगा कि में भी कभी बच्चा था जो खेलना जानता था | वही बच्चा जो ऐसे रोबोट से खेलकर अपने आप को एस्ट्रोनॉट समझ लेता है और खुश रहता है। आज सोचता हूं कि ऐसे ना जाने कितने गैजेट मेरे पास है लेकिन वो ख़ुशी अब मन मे नही है। इस ओर ओर ओर की लालसा ने मुझे असली मजे से दूर कर दिया है और ला दिया है उस मोड़ पर जहा में बस थोड़ा और चाहता हूं लेकिन में सच मे नही जानता कि ये थोड़ा और कब खत्म होगा।

वहाँ दूसरी तरफ एक कार रखी थी जो मुझे मेरे 10th जन्मदिन पर मिली थी । मेरे पापा ने दी थी मुझे ये कार। इस कार की खास बात ये है कि आज इतने साल बाद भी ये कार चलती है लेकिन अब इसका रिमोट गुम हो गया है और मुझे इसे खुदके हाथो से ही चलाना पड़ता है। है शायद दुनिया का यही उसूल है जो पुराना हो जाता है उसे किसी के सहारे की जरूरत पड़ती है। सहारा कैसा भी क्यों न हो लेकिन जरूरत तो पड़ ही जाती है , चीजे पुरानी हो इसका मतलब ये तो नहीं की उन्हें फेंक दिया जाए या छोड़ दिया जाए उनके खुदके भरोसे ही। में कैसे छोड़ दू उस कार को जो आज मेरे सहारे नही चल पा रही लेकिन कभी इसी कार के सहारे में पूरी छत पर दौड़ लगाता था ओर जीत जाता था वो सारी रेस जो जो मेने खुदने ही बनाई थी। आज मेरे पास बाइक है लेकिन सच बताऊ तो में कोई रेस जीत ही नही पा रहा क्योंकि हर बार जीतने के बाद मेरी मंजिल बदल जाती है।

एक कोने में क्रिकेट का वो बैट रखा हुआ था जो मेरे पिताजी 2003 के वर्ल्डकप में लाये थे। मेरी तरह ही मेरे पिताजी भी क्रिकेट के दिवाने हैं शायद इसलिए उस समय ये बैट मुझे मिला था और 2003 के वर्ल्डकप के बाद ही मुझे मेरे दोस्तों में पहले बैटिंग मिलने लग गयी क्योंकि अब बैट मेरा होता था। आज इस बैट का हत्ता टूट गया है और अब तो इसकी लकड़ी भी थोड़ी खराब सी हो गयी है लेकिन मेने इसे थोड़ा संभाला हुआ है क्योंकि ये मुझे याद दिलाता है उस वर्ल्डकप की । चाहे हम कितने भी मैच जीत गए हो , यहाँ तक कि वर्ल्डकप भी जीत गए हो लेकिन 2003 का जो दर्द है वो आज भी जहन में है ओर शायद रहेगा क्योंकि वो पहली बार था जब मैने मेरे पिताजी को किसी चीज के लिए दुःखी होते हुए देखा था। में बच्चा था ज्यादा नही समझता था ओर थोड़े दिन में भूल भी गया कि हम मैच हार गए लेकिन इतना जरूर जान गया था कि पिताजी दुःखी होते हुए अच्छे नही लगते।

 एक तरफ एक संदूक थी जिसमे मेरी ओर मेरे भाई की बहुत सारी किताबें रखी थी। बालहंस, चंपक, शक्तिमान, चाचा चौधरी, भारत को जानो, बारहखडी, 1 से 20 तक पहाड़े, सामान्य ज्ञान, स्कूल की किताबें, ओर भी बहुत कुछ था इस संदूक में जिसने मेरी आँखों मे नमी ला ही दी थी। आज मेने कुछ कहानियाँ फिर से पढ़ी तो ऐसा प्रतीत हुआ की जीवन की असली सीख तो मुझे इन कहानियों से बचपन में ही मिल गयी थी और बड़े होने के बाद मेने कोई खास बड़ी चीज नहीं सीखी जो जिन्दगी का मतलब समझाती हो, हाँ सिखा है बहुत कुछ लेकिन बस किसी का किसी चीज के पीछे भागते रहना और वो मिल जाए तो किसी और चीज के पीछे भागना शुरू कर देना |
मन ही मन मे सिर्फ इतना सा सोचता रहा कि हर साल मेरी माँ इस कमरे की सफाई करती होगी ओर परेशान भी होती होंगी लेकिन इतनी परेशानियों के बावजूद उन्होंने मेरे बचपन के उन सभी लम्हों को संभाला हुआ है जो मुझे ओर किसी चीज से नहीं मिल सकते। शायद इसलिए कहते है कि बचपन बहुत सुंदर होता है। आज सोचता हूं कि माँ बाप का दिल कितना बड़ा होता है और वो कितनी चीजें जानते है। इस भौतिकतावादी जमाने की चीजों से वो अनजान है, हाँ उन्हे नहीं पता कि flipkart पर big billion day sale लगी हैं लेकिन उन्हें इतना जरूर पता है कि असली सुख उस चीज में नहीं जो आज सोचों ओर कल तुम्हारें हाथ मे हो बल्कि असली सुख उस रोबोट में है जो मुझे उस समय इतनी जिद के बाद मिला था।

एक कमरा जिसका उपयोग किसी किरायदार को रखने में हो सकता था या फिर किसी और काम में हो सकता था, मेरे माँ पिताजी ने उसका उपयोग मेरे बचपन को जिंदा रखने में कर दिया। सोचता हूं उन लोगो के लिए जिनके माँ पिताजी मेरे माँ पिताजी की तरह ही एक 8*8 का कमरा कुर्बान कर देते है सिर्फ उनके बच्चों के बचपन को जिंदा रखने के लिए ओर बड़े होने के बाद वही लोग उनके माँ पिताजी के लिए एक 8*8 का कमरा नहीं दे पाते।

कैसा लगता होगा उन माँ बाप को उस समय????? 

Saturday, September 9, 2017

चेहरा


इस शहर में आने से पहले भी मेने कई बार शहर बदले है। हर शहर में कई चेहरो से मुखातिब होने का मौका मिला पर खुशनसीबी से किसी शहर में कोई ऐसा चेहरा नही मिला जिस चेहरे के पीछे 2 चेहरे ना हो।

याद है मुझे कुछ चेहरे मिले थे उन गलियों में जहाँ मेने अपना बचपन बिताया था, वो चेहरे आज मेरे शहर में तो नहीं है पर वो चेहरे आज भी वहीं है जैसा पहली बार मैंने उनको देखा था, हां में मानता हूं कुछ बदल गया है जैसे उनकी नाक जो बहकर के बाहर आ जाया करती थी आज उस जगह पर उनके मूँछे उग आई है और कुछ की फ्रॉक की जगह अब टॉप ने ले ली है । पूरे साल मुझे दिवाली का इंतजार सिर्फ इसलिए नहीं रहता कि मैं फटाके चलाऊंगा ओर मिठाइयां खाऊंगा बल्कि मुझे तो इंतज़ार रहता है उन चेहरो से मिलने का जिनको देखते ही में वो बच्चा बन जाता हूं जो इस शहर में कभी नही बन पाता।

कुछ चेहरे मुझे कॉलेज में भी मिले थे , हां उनका बचपन मैंने नहीं देखा पर उनके मुंह से सुना जरूर था। शायद इसलिये , हां शायद इसलिए वो चेहरे भी मुझे मेरे गाँव की गलियों वाले चेहरों जैसे ही लगते हैं। हम सभी ने शहर बदल लिया हैं , दोस्त बदल लिए हैं पर आज भी मुझे कोई ऐसा चेहरा नही मिलता जैसा मुझे उन गलियों में मिला करता था जहाँ मेने अपना बचपन गुज़ारा है। शायद इसका कारण यही है कि इन सभी चेहरो का बचपन मुझे पता नहीं जो मुझे शहर में मिलते है।

कभी कभी इन चेहरों पर तरस आता है जो इन बड़े शहरों में रहते है। ये सभी उस बच्चे को भूल गए जो इस चेहरे में कही न कही छुपा हुआ हैं। मेरा मन करता है इन्हें बता दू की जिस चेहरे को ये अपना समझ रहे है वो इनका नहीं किसी ओर का है । ऐसा नहीं की मैंने कोशिश नहीं की हो इन्हें बताने की ओर उस बच्चे को बाहर लाने की जो इनके अंदर कहीं दबा हुआ है पर इनके चेहरों से अब सिर्फ मतलब की बू आती है और वो बच्चा जो इनके अंदर कभी हुआ करता था कबका मर चुका है और अब इन्हें यही चेहरा अच्छा लगता है।

शायद इसलिए, हां इसलिए मुझे शहरों से नफ़रत हैं जहाँ हर चेहरे के पीछे एक ओर चेहरा रहता है। 

Friday, September 8, 2017

If you won't, Somebody else will


If you won't start it today,
Somebody else will.

If you won't wake up at right time,
Somebody else will.

If you won't decide your aim,
Somebody else will.

If you won't take yourself sincerely,
Somebody else will.

If you won't make your life matter,
Somebody else will.

If you won't stop wasting your time,
Somebody else will.

If you won't take yourself up to the top,
Somebody else will.

If you won't make your dream true,
Somebody else will.

If you won't follow your passion,
somebody else will.

If you won't tell her how much you love her,
Somebody else will.

There are almost 7000000000 of people in this world and 1300000000 of them live in India. It's only you who decide your life not somebody else but always remember somebody else is always there to beat you.

So Start and start smart.
Make It Happen..:)

#aazaadiyaan

Wednesday, August 30, 2017

Make Your Life Matter

i wish i didn't take life so seriosuly...:(

i wish i didn't take life so seriosuly...:(

i wish i didn't take life so seriosuly...:(

i wish i lived more. i wish i gave more happiness to my family. i wish i knew how precious life was. how fleeting...
how special and at the same time fragile and insignificant. i wish i didn't give up on my dreams so easily.

ONE day your life will flash before your EYES, Make sure it's WORTH WATCHING...

When we look back on our life... in our last breath. We will all wonder. Did my life mean anything?
Did my life mean anything to this world? Was i loved? Did i have an impact on anyone else's life...
Did i matter?

We should not be worried too much about our bills. We should not be worried too much about our aim. We should not be worried about what will happen in game of thrones new episode? We should not spare a second thought of other's opinion and judgments...

Did i matter?
before you reach that last breath today might be the time to make a change.

Make your life matter. 
One day it will be over.

There will be two dates either side of a dash. Make sure that dash is not empty. Make sure it is full of life. Full of living. 

Oscar Wild once said,"To live is the rarest thing in the world. Most people exist, that is all." and you know what? he was right. Do not live like everyone else... Existing...

Be Extraordinary.  
Live Every moment wit passion and wonder. Do not take anything or anyone for granted. 

What is important to you?
What dreams do you have? 

GO GET THEM 

What are you waiting for? 
You only have one shot and if you miss the target somebody else will take it away from you. You never know when it will be your last chance...
Don't take this magical thing called life for granted...
Keep your head up when everyone else is loosing theirs. Trust yourself when everyone else doubts you. Master your dreams when all others give up on theirs. Be the LION when all others are playing sheep. Be the leader when all others are following. Live each day as it may be your last day on earth because it may be.....

By Alexix Texton

#aazaadiyaan

Saturday, August 5, 2017

A Letter to My Sister


हाँ ये सच है , मैं तुम्हे मिस करता हूं | हर साल ये दिन  मेरा सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचने में गुजरा है | तुम कभी थी ही नहीं, कभी थी ही नहीं तुम यहाँ पर मेरे पास, मगर होती तो जान सकती थी की में तुमसे कितना प्यार करता हूं

बस में यहीं सोचता हूं की

वो बचपन की मस्ती

वो तुम्हारी पहली मुस्कराहट जो तुमने मेरी गोद में ली थी

वो एक दुसरे के साथ एक ही थाली में खाना खाना 

वो एक दुसरे की चुगली मम्मी से करना 

वो एक दुसरे से लड़ना और मम्मी से शिकायत करके मुझे पिटवाना 

वो मेरा होमवर्क तुमसे करवाना

वो स्कूल में तुम्हारा बॉडीगार्ड बनकर रहना

वो तुम्हारा रोते हुए स्कूल से आना और मेरा तुम्हे मनाना

वो मेरे सारे सीक्रेट मम्मी पापा से छुपाना

वो मेरा दोस्तों से पीटकर आना और तुम्हारा मुझे दवा लगाना

वो मेरा तुम्हारे खिलोने तोडना और तुम्हारा मुझे मम्मी से डांट लगवाना 

वो याद है जब पापा ने मुझे मेरी गर्लफ्रेंड से बात करते हुए पकड़ा था तब तुम ही तो थी जिसने मुझे बचाया 

वो मेरे मार्क्स कम आना और तुम्हारा मुझे इंग्लिश पढाना

वो मेरा घर से बाहर पढ़ने जाना और तुम्हारा मुझे गले लगाकर रोना

वो तुम्हारा हर राखी पर मुझे घर बुलाना

वो साथ में रात भर टीवी देखना और पोपकोर्न खाना 

तुम्हे याद है जब पहली बार तुम रसोई में गयी थी और तुमने चाय में नमक दाल दिया था आज भी हम उस बात को याद करके कितना हँसते है

वो हर बार मेरा रात में 1 बजे छुट्टीयों मैं घर आना और तुम्हारा मुझे गरम खाना बनाकर खिलाना,  

वो तुम्हारा मॉल में जाना और मेरे खूब सारे पैसे खर्च करवाना

वो तुम्हारा दिवाली पर रंगोली बनाना और मेरा ये कहना की ये तो कोई भी बना लेगा

वो तुम्हारा बचपन का बैग जिसमे तुम तुम्हारी गुड़िया रखती थी तुम्हें याद है वो बैग आज भी मेने संभाल कर रखा हैं

वो याद है तुम्हें जब तुम्हे जब हमने भैया की शादी में साथ में डांस किया था और में सारे स्टेप्स भूल गया था
हाहाहाहा कितनी हसीं आई थी उसका विडियो देख कर...

वो याद है जब हम सभी नानी के जाया करते थे और तुम वही रहने की जिद करती थी और फिर में रो कर तुम्हे साथ ले जाया करता था

वो घंटो तक फ़ोन पर एक दुसरे से बात करना

वो तुम्हारा तुम्हारे बर्थडे पर मेरे साथ केक काटना याद है तुम्हे ?
   
और वो याद है तुम्हारी पहली राखी जो तुमने मेरे लिए अपने हाथो से बनाई थी जो आज भी मेरे पास रखी है 
और इस तरह ही हज़ारो चीजे जो हमने साथ में की है मैं बहुत मिस करता हूं पर तुम नहीं हो लेकिन अगर तुम होती तो तुम जान सकती थी की मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं |

दर्शित 
तुम्हारा भाई 

Monday, July 24, 2017

Don't take life too seriously


You know Bertrand Russell an Englishman? Bertrand Russell said, if you beginning to think that what you are doing is very important, you need to take a holiday. Holiday does not mean going to some place like Himachal or Switzerland. Holiday is every day. In those 24 hours you must take a holiday from your seriousness. Seriousness has come essentially because of your self-importance. You hold yourself an important person. I wanted you to see that you are like speck of dust in this existence. Tomorrow morning if you will disappear for sure in this world nobody will miss you except some of your relatives and friends. Even down under they won’t bother much you know? They will forget soon enough.

Isn’t it true??

You will go like whhooff…

And nothing will happen to this world. Every human being should be aware of this in every moment of his life. It does not what the whole world is about. It does not matter how significant work you are doing. You must understand tomorrow the world will go fine without you. Just loosen up your life little bit. Laugh a little bit more. Involve yourself with people around you. Do things that you think is not so important. Don’t do things which are very important. Do simple things. It is very important to do simple things. If you are doing very important things in life, you will become dead serious and please don’t be dead now. That time will come, it is the time to be alive. Don’t be dead serious about your life, your life is just to play…

By Sadguru

See I am sharing this because I love this article and I read it somewhere. I am not a fan or follower of Sadguru or any other religious community.

Thanks for taking out time to read this..

Darshit

Tuesday, May 30, 2017

Pain

We all have things that we believe in for, dreams that we want to accomplish, problems that we are hoping to turn around. May be its to see our family to restore, to lose some weight, to break an addiction, to start our own business but sometimes as it goes on month after month even year after year we don’t see anything changing than its easy to think it will not going to happen and I will learn to live with it. We all go through disappointments, pains, losses, these all are part of life. It’s easy to get discourage by these things and think why this is happening to me. Sometimes we look at pieces in our life that don’t make sense. Painful time, even though you dislike it but it is developing something in you that can only be developed in tough times. Eventually that will pass. You get through it and you will be different. How the pain changes you it’s only up to you. You can come out better or you can come out defeated or giving up on your dreams or you can come out with new passion, excited about the new opportunities in front of you. I am not a loser. I am a warrior and I can handle this. Don’t complain about the pain because without the pain we could not reach the fullness of our destiny. Sometimes we bring pain ourselves. We make poor choices, get into relationship we know it’s not good and we have to deal with the consequences. All of us experience pain but don’t just go through it, grow through it. That difficulty is an opportunity to become stronger, to develop a new character, to gain confidence. Anybody can give up, anybody can let it overwhelmed you but you know what you are doing? “Wasting your pain”. That pain is not there to stop you but it is there to prepare you, to increase you, to develop you. Difficulties are part of life. It does not happened yet does not mean it will not going to happen in future. There are always forces trying to convince us to settle where we are. Life is a way to accomplish our dreams. Turn around and remember your dream. Will you allowed your dreams to get buried in you?  Try to remember once upon a time you believed you can do something great, you believed you can lead the team and win the game, you believed you can increase your productivity, and you believe you can break that addiction. You can settle where you are and nobody will fault you. Your enemy love to see that you are burying your dream. Thinking that this will not going to work out please don’t believe those lies. It’s there to stop you and to reduce you but you are not mean to be reduced or stopped. You are here to win the game. You are here to become all that you were created to be. Every time you remember your dream it becomes alive. All you need is to take action and start small now itself. Now means now not tonight, not tomorrow, not next month or next Monday. Now means now itself. This is the only way to achieve your dream. If you won’t try now somebody else will so it is only up to you that you want to think about it or do something about it. If you fail go back and try again and again and again and again until you achieve it. This is your time. This is your moment and your destiny is calling you. It is time to start. It is the time to make a plan. It is the time to START.

The pain is temporary but the glory is eternal.

What I believe is to become something. This is my year to break the bonds. This is my year to turn around. This is my year to get healthy. This is my year to meet the people of my dreams. This is my year to go further in my career. This is my year to break free from this depression. This is my year for everything I want in my life

This is your year too….:)


Aazaadiyaan

बस बढ़िया यार

ओर बता यार कैसा है तू? ठीक 4 साल बाद जब उन सभी से मिला तो पहला सवाल यही था उनका कि ओर बता यार कैसा है तू? हुआ कुछ यूं था कि हम...