Thursday, February 22, 2018

A Small Story About Life


Two boys were sitting at a beach. In the big sea tides are raising and falling again and again. They were watching it cautiously. 

After few minutes One boy told another, " See tides falling again and again." 

Then another boy told him." See even after falling again and again tides are raising again and again. This is the beauty of life".

Life is like it only all things depends on how you see it. It is very beautiful. Live it as much as you can. 

Happiness do not lives or stays at destination but it is journey itself. Enjoy the journey.

#aazaadiyaan

Saturday, February 17, 2018

पिता पुत्र और खच्चर



एक बार एक पिता पुत्र और खच्चर एक रास्ते से कही जा रहे थे। उन्हें रास्ते में कुछ लोग मिले जो कहने लगे कि कैसे पागल पिता है , खुद तो थक रहा है बेटे को भी थका रहा है । यह सुनकर पिता पुत्र को खच्चर पर बिठा देता है, थोड़ी देर चलने के पश्चात उन्हें फिर से कुछ लोग मिलते है इस बार लोग बोलते है कि कैसा बेटा है, खुद तो खच्चर पर बैठा है और अपने पिता को पैदल चला रहा है । ये सुनकर बेटा खुद उतर जाता है और पिता को खच्चर पर बैठने को कह देता है । अब पिता खच्चर पर बैठ जाते है और कुछ दूर चलने के उपरांत उन्हें फिर से कुछ लोग मिलते है और कहते है । खच्चर होने के उपरांत भी एक पैदल चल रहा है और एक इस पर बैठा है । इसके बाद दोनों खच्चर पर बैठ कर चल देते है। कुछ देर बाद फिर कुछ लोग मिलते है और बोलते है कैसे दुष्ट पिता और बेटा है । इतने कमजोर खच्चर पर दोनों बैठ कर जा रहे है , कही ये मार गया तो ?
ये सुनकर पिता और पुत्र वापस उतरकर पैदल चलने लगते है । 

इस कहानी से हमे क्या शिक्षा मिलती है?

हमे शिक्षा मिलती है कि हम चाहे कुछ भी करले, कुछ लोग होंगे जो कोई कोई नुक्स निकाल देंगे और कुछ कुछ जरूर बोलेंगे । इसलिए कभी नही सोचना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे ओर अपना काम करते रहना चाहिए ।

सोचिये आज आपने क्या खो दिया ?


जनवरी की एक सर्द सुबह थी । अमेरिका के वाशिंगटन डीसी का मेट्रो स्टेशन । एक आदमी करीब वहाँ घंटे भर तक वायलिन बजाता रहा । इस दौरान लगभग वहाँ 2000 लोग गुजरे, उनमें से अधिकतर अपने काम पर जा रहे थे। उस व्यक्ति ने वायलिन बजाना शुरू किया उसके 3 मिनट बाद, एक अधेड़ आदमी का ध्यान उसकी तरफ गया । उसकी चाल धीमी हुई, वह कुछ पल उसके पास रुका ओर फिर जल्दी में निकल गया ।

4 मिनट बाद : वायलिन वादक को पहला सिक्का मिला। एक महिला ने उसकी टोपी में सिक्का फेंका ओर वो बिना रुके चलती बनी ।

6 मिनट बाद : एक युवक दीवार के सहारे टिककर उसे सुनता रहा, फिर उसने घड़ी पर नजर डाली और फिर से चलने लगा ।

10 मिनट : एक तीन वर्षीय बालक वहां रुक गया, पर जल्दी में दिख रही माँ उसे खीचते हुए वहां से ले गयी । ऐसा कई बच्चों ने किया और हर एक के अभिभावक ने लगभग ऐसा ही किया ।

45 मिनट : वह लगातार बजा रहा था अब केवल 6 लोग ही रुके थे और उन्होंने भी कुछ देर ही उसे सुना था। लगभग 20 लोगों ने सिक्का डाला और बिना रुके अपनी सामान्य चाल में चलते रहे । उस आदमी को कुल 32 डॉलर मिले ।

1 घंटा : उसने अपना वादन बन्द किया फिर शांति का गयी। इस बदलाव पर किसी ने ध्यान नही दिया । किसी ने वादक की तारीफ नहीं की ।

किसी भी व्यक्ति ने उसे नहीं पहचाना। वह था, संसार के महान वायलिन वादकों में से एक, जोशुआ बेल जोशुआ 16 करोड़ रुपये की अपनी वायलिन से इतिहास की सबसे कठिन धुनों मे से एक को बजा रहे थे । महज 2 दिन पहले ही उन्होंने बोस्टन शहर में मंचीय प्रस्तुति दी थी जहाँ पर टिकट का औसत मूल्य लगभग 100 डॉलर ( 6000 INR ) था ।

यह बिल्कुल सच्ची घटना हैं। ओर इसका सीधा सा निष्कर्ष ये निकलता है कि जब दुनिया का इतना बड़ा वादक इतिहास की बेहतरीन धुनों में से 1 को बज रहा था तब किसी ने उस पर ध्यान नही दिया । इसी प्रकार हम जीवन मे कितनी चीजो से वंचित रह जाते होंगे। क्या हम ध्यान देते है या फिर केवल दौड़ते जा रहे है । हम इस प्रकार कितनी ओर चीजो से वंचित रह गए है। और लगातार वंचित हो रहे है ।

इसका जिम्मेदार कौन है ?

बस बढ़िया यार

ओर बता यार कैसा है तू? ठीक 4 साल बाद जब उन सभी से मिला तो पहला सवाल यही था उनका कि ओर बता यार कैसा है तू? हुआ कुछ यूं था कि हम...