ओर बता यार कैसा है तू?
ठीक 4 साल बाद जब उन सभी से मिला तो पहला सवाल यही था उनका कि ओर बता यार कैसा है तू?
हुआ कुछ यूं था कि हम दोस्त है ओर कुछ साल साथ रहने के बाद एक दिन अपनी-अपनी कंपनी में नौकरी करने के लिए अलग-अलग शहर के लिए के निकल गये थे। आज एक छोटे से काम के लिए उनके शहर जाना हुआ तो सोचा थोड़ी देर उनसे मिल लेता हूं। लेकिन मिलते ही उन्होंने पूछ लिया और बता यार कैसा है तू?
थोड़ी देर सोच में पड़ गया ओर मन किया की बता दूं इन्हें की यार अब ना पैसे तो हो गए है लेकिन साला कोई रहा नही जिसके ऊपर खर्च कर सकू।
मन किया कि बता दूं की यार अब पहले से बहुत अच्छी जगह खाना खाता हूं लेकिन तेरे बिना रोटी में वो स्वाद नहीं आता।
मन किया कि बता दूं की अब साला कोई रहा नही मेरे पास जिसकी थोड़ी उड़ा के किसी को हँसा सकू ओर जिसके सामने कभी-कभी रो भी सकू।
मन किया की बता दूं की वो रास्ते जहां हम क्रिकेट खेलते थे, साईकल चलाते थे, कॉलेज और स्कूल जाते थे, अब मुझसे अक्सर पूछा करते है कि कहाँ गए तेरे यार आजकल ? और हमेशा की तरह मेरे पास कोई जवाब नहीं होता।
मन किया की बता दूं की वो रास्ते जहां हम क्रिकेट खेलते थे, साईकल चलाते थे, कॉलेज और स्कूल जाते थे, अब मुझसे अक्सर पूछा करते है कि कहाँ गए तेरे यार आजकल ? और हमेशा की तरह मेरे पास कोई जवाब नहीं होता।
मन किया कि बता दूं वो कमरा जिसमे दिन भर हँसी-ठहाको की आवाज़े आती थी आजकल वो कमरा भी मेरे साथ रहते-रहते शांत रहना सीख गया है।
अब मेरी दुनियाँ में सुबह के बाद सीधे रात होती है और रात के बाद फिर सुबह क्योंकि मेरे दिन ओर मेरी शाम तो जिम्मेदारियां निभाने में निकल जाते है।
और
अब में चाय पीने 2 किलोमीटर चल के नही जाता।
अब में पैसे बचाने के लिए उस रामदेव और श्रीनाथ के ठेले पर डोसा नही खाता।
अब में 200 रुपये देकर मूवी देखा करता हूं लेकिन कसम से जो मजा उस 40 रुपये वाले हॉल में आता था वो इन जगह पर नहीं आता।
अब में ऑफिस से बंक मारकर नही जाता क्योंकि असली जिंदगी में आपकी बंक की प्रॉक्सी लगाने वाला कोई नही रहता।
नहीं रही वो हँसी, वो मस्तियाँ, वो हँसना, रोना, रूठना, मनाना, नाचना, गाना, चिल्लाना अब नहीं रहा।
मन किया की ये सब बता दूं और बोल दूं की चल चलते है वापस उस दुनिया में जहां स्कूल भी स्वर्ग था और क्रिकेट का मैदान भी, वो कॉलेज का कैंटीन भी था और वो पैसे देने के लिए होने वाली लड़ाई भी थी और वो बिना पैसो के दुनिया घूमना भी था। चाहे बहुत अजीब से हो पर वो सपने थे जो हम साथ में देखते थे।
ये सब मेरी जुबां पर आ ही रहा था लेकिन में रुक गया क्योकि मुझे उसकी आंखों में वही सब दिख गया, दिख गया उन आँखों में जो मुझसे ये ही सारी बातें बोलना चाह रही थी। इसलिए में ठहर गया ओर बस बोल दिया बस बढ़िया यार बढ़िया हूं।
ये सब मेरी जुबां पर आ ही रहा था लेकिन में रुक गया क्योकि मुझे उसकी आंखों में वही सब दिख गया, दिख गया उन आँखों में जो मुझसे ये ही सारी बातें बोलना चाह रही थी। इसलिए में ठहर गया ओर बस बोल दिया बस बढ़िया यार बढ़िया हूं।